Stay fit in Autumn / Sharad Rutu

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इस वर्ष वापसी की लंबी चली बारिश आखिरकार रुक गई है. अब मौसम में हलकी सी गरमाहट महसूस की जा रही है. इस गरमाहट के मौसम के बाद पूरी सृष्टि ठण्ड की चादर में लिपट जाएगी. सर्दी का माहौल ज्यादातर सबको खुश कर देता है. चारो तरफ एक शीत लहर चलती है. तबीयत ज्यादार तंदुरुस्त रहती है. भूख अच्छी रहती है. आम तौर पर देखा जाए तो यह एक स्वस्थ ऋतु होता है. लेकिन इस माहौल में भी स्वास्थ्य के संबंध में कुछ एहतियात बरतना जरुरी होता है. इस ऋतु में कैसे स्वस्थ रहे आज हम इसके संदर्भ में जानकारी देंगे.

ठण्ड का मौसम शुरू होने से पहले तथा बारिश के बाद की समयावधि शरद ऋतु कहलाती है. इस ऋतु में बारिश की ठण्डी हवाएं खत्म होकर हल्की सी गर्मी की हवाओं में तब्दील हो जाती है. जो बदलाव कुदरत में पाया जाता है, उसी का असर या प्रभाव अपने शरीर पर भी दिखाई देता है. शरीर में गरमाहट बढ़ती है, पित्त बढने का अहसास होता है. इस स्थिति में निंद कई बार परेशान करती रहती है.

शरीर में बढ़ी हुई गर्मी के चलते कई बार पित्तजन्य बीमारियों का सामना करना पड़ता है. जैसे कि चिकनपॉक्स, खसरा, बुखार आदि. आजकल प्रमुख रूप से सभी उम्र के लोगों में त्वचा की एलर्जी जैसे लक्षण अधिकतर पाए जाते है. जिसे वैज्ञानिक परिभाषा में शीतपित्त के नाम से जाना जाता है. इस बीमारी में त्वचा पर पित्त के कारण खुजली आती है और काफी पीड़ा देने वाले रैशेस आ जाते है. दिखने में मामूली लगने वाली ये रैशेस पहरेज ना करें तो अधिक समय तक परेशानी पैदा कर सकती है.

शरद ऋतु में प्राय: शीतल आहार का सेवन करें. शीतलता आहारीय द्रव्यों के तासीर में होनी चाहिए ना की स्पर्श में.

इसके अंतर्गत रूप में रागी (नाचणी), सिंघाड़ा, दूध, घी, मक्खन, धनिया, सौंफ, नारियल का उपयोग उचित मात्रा में करें. इन सभी चीजों के साथ मिर्च, मसालों से भरे पदार्थ, तील, मेथी, मूंगफली, राई का सॉस जैसे पदार्थों से परहेज करें. ये सभी पदार्थ शरीर में गरमाहट पैदा करने वाले होते है. इस कारण से इनकी आवश्यकता इस ऋतु में नहीं होती.
परंपरा के अनुसार पूरे भारतवर्ष में शरद ऋतु में आने वाली पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा या कोजागिरी के नाम से जाना जाता है. इस पूर्णिमा की रात में चंद्र की शीतलता का सेवन करके अपने शरीर में मौजूद गरमाहट को कम करने का प्रयास किया जाता है. इसी अवसर पर शीतलता प्रदान करने वाले दूध का रसपान किया जाता है.

शरद ऋतु में खान-पान के नियमों का पालन ना करना कई बीमारियों की नींव रखने जैसा होता है और भलीभांति पालन करना आगे आने वाली सर्दी की सबसे बड़ी तैयारी होती है.

धन्वतरेय नम:

Trivia

– Published here as it is originally published at Ayurwave Blog as the author is the same.

– Also published in print media in “Navbharat Swasthya Mitra”, 14 December 2019 issue

About the author

He is MD (Ayurveda) with a specialization in Panchakarma from Tilak Ayurveda, Pune. Presently working as Ayurveda Practitioner, researcher, speaker and author for last 20+ years; Honorary Ayurveda Consultant to SP Pune University -Students’ Health Centre; associated as a founding member and consultant at TanMan Ayurveda, Vedika Global, SINCE and a few other organizations.

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